पुरानी तकनीक को फिर से नया रूप देने की कोशिश में जुटा है रिनपास। जी हां, रांची के कांके स्थित रिनपास में मानसिक आरोग्यशाला में 70 साल पहले मानसिक रोग का इलाज पानी से किया जाता था। इसके लिए रिनपास में हाइड्रोथेरेपी मशीन तक उपलब्ध है। इसमें पानी से भरे टब में मरीज को लेटा कर रखा जाता था। चिकित्सा के अनुसारा गर्म या ठंडे पानी के साथ उसे थेरेपी दी जाती थी।
अब एक बार फिर इसी प्रक्रिया को फिर से दोहराने की कोशिश की जायेगी, लेकिन नई तकनीक के साथ। बता दें कि रांची के रिनपास का म्यूजियम 1999 में बनाया गया था। उस वक्त डॉ बीआर बनर्जी इसके निदेशक थे और उन्होंने ने ही इसी परिकल्पना की थी। इसमें वैसे मरीजों के जंजीरों से बांध कर इलाज के लिए लाया जाता था। इतना ही नहीं उस मरीजों को जो इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता था वह 60 साल पुरानी मशीन भी अब तक रिनपास में रखी हुई है। हालांकि अब रिनपास में करंट देकर इलाज करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा कई पुरानी मशीन अब भी वहां मौजूद हैं जिससे यह पता चलता है कि पहले किन-किन पद्धतियों से इलाज किया जाता था। इतना ही नहीं यहां गाना सुनने वाले मरीजों के लिए रिकॉर्ड प्लेयर भी था और फिल्म दिखाने के लिए प्रोजेक्टर भी। वर्तमान निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह लगभग 2 हजार वर्गफीट में बने इस म्यूजियम को अब नया रूप देने में लगे हैं। साथ ही पुरानी तकनीक के साथ अब नई तकनीक को भी इस म्यूजियम में रखने की योजना है। इसके लिए सारी प्रक्रियाएं शुरू कर ली गई हैं। अब देखना ये होगा कि इलके जीर्णोधार के बाद मरीजों को कितना लाभ मिलता है।