भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के महानिदेशक को झारखंड के पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता और गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के बीच कथित गठजोड़ की जांच की मांग करते हुए एक पत्र लिखा है।
अपने पत्र में और प्रेस कॉन्फ्रेंस में, मरांडी ने निम्नलिखित गंभीर आरोप लगाए हैं:
उन्होंने दावा किया कि पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता और गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के बीच एक गहरी सांठगांठ (nexus) थी, जो राज्य में अवैध रेत, कोयला और पत्थर खनन तथा शराब व्यापार से काला धन इकट्ठा करने का एक सिंडिकेट चला रहे थे।
मरांडी ने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन सरकार ने 'गिव एंड टेक' (लेन-देन) फॉर्मूले के आधार पर अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया था।
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं है, बल्कि राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है, जिसके कारण उन्होंने एनआईए जांच की मांग की है।
मरांडी ने यह भी दावा किया कि अपराधी अमन साहू का एनकाउंटर इसी अवैध रैकेट को बचाने के लिए एक 'कवर-अप' था।
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता और गैंगस्टर सुजीत सिन्हा के बीच कथित गठजोड़ के मामले में झारखंड की सत्तारूढ़ हेमंत सोरेन सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि यह सब सरकार के संरक्षण में हो रहा था।
मरांडी ने आरोप लगाया कि अनुराग गुप्ता ने "सरकारी संरक्षण" में एक आपराधिक और जबरन वसूली का नेटवर्क चलाया।
मरांडी के अनुसार, यह गठजोड़ राज्य में अवैध रेत, कोयला, पत्थर खनन और शराब के व्यापार से काला धन इकट्ठा करने के सिंडिकेट का हिस्सा था, जिसकी जानकारी सरकार को थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार के पास सुजीत सिन्हा की पत्नी रिया सिन्हा और अनुराग गुप्ता के बीच हुई कथित बातचीत के सबूत थे, लेकिन सरकार ने उन्हें जानबूझकर सार्वजनिक नहीं किया।
मरांडी ने इस पूरे मामले को केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बताया है, जिसकी अनदेखी सरकार ने की।
उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस मामले पर चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं।
कुल मिलाकर बाबूलाल मरांडी ने जोर देकर कहा कि इस पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय, निष्पक्ष और व्यापक जांच होनी चाहिए।