झारखंड के मुरी में स्थित हिंडालको इंडस्ट्रीज लिमीटेड इन दिनों सवालों के घेरे में , जी हां मुरी में स्थित हिंडालको इंडस्ट्रीज लिमीटेड के मुरी वर्क्स एक बड़े विवाद केन्द्र में है। मामला सेवानिवृत्त कर्मचारी श्रीकांत महतो के पुत्र राजू महतो की अनुकंपा नियुक्ति से जुड़ा है। बता दें कि अक्टूबर 2023 में कंपनी ने राजू को नौकरी का आश्वासन दिया था, लेकिन लगभग दो साल बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। जिस कारण राजू का परिवार आर्थिक और मानसिक पीड़ा से गुजर रहा है । ऐसे में हिंडाल्को के अनुकम्पा पर नियुक्ति की प्रणाली सवालों के घेरें में है ।
बता दें कि श्रीकांत महतो के परिवार ने भी इसी उम्मीद पर भरोसा किया। सेवानिवृत्ति के समय कंपनी ने राजू महतो को नौकरी का वादा किया, और जुलाई 2024 तक राजू ने सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे विभागीय कागजात, पुलिस सत्यापन और अन्य औपचारिकताएं पूरी कर दीं। बताया जाता है की कंपनी की ओर से बार-बार नए दस्तावेजों की मांग की गई, और परिवार ने सारे डॉक्युमेंट पहुचाया ।वैसे श्रम कानून विशेषज्ञों का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति का मूल मकसद परिवार को संकट से बचाना है, लेकिन यदि प्रक्रिया सालों तक अटकी रहे, तो यह नीति का उद्देश्य ही विफल हो जाता है।लगभग दो वर्षों की इस टलमटोल ने श्रीकांत महतो के परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है। राजू महतो, जो एक शिक्षित युवा हैं, ने बताया, “पिछले दो साल से हम मानसिक तनाव और आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। कंपनी हमें बार-बार नए कागजातों के लिए दौड़ाती है, जो अपमानजनक है। इससे हमारा सामाजिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है।” परिवार का कहना है कि यह न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रहा है, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी चोट पहुंचा रहा है।
बता दें कि हिंडालको मुरी वर्क्स, जो भारत का पहला एल्यूमिना रिफाइनरी है और 1948 से संचालित हो रहा है, में दशकों से यह प्रथा चली आ रही है कि सेवानिवृत्त या दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा आधार पर या एग्रीमेंट के तहत नौकरी दी जाती है। इसका उद्देश्य परिवार की आजीविका को सुरक्षित रखना होता है। राजू के परिवार ने इसी आश्वासन पर भरोसा किया था। लेकिन वर्तमान में, 2025 तक पहुंच चुके इस मामले में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। बताया जाता है की कंपनी के एचआर विभाग ने हाल ही में राजू को बुलाकर “बॉम्बे कॉर्पोरेट ऑफिस” से बातचीत का आश्वासन दिया, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी स्थानीय नियुक्तियों में कॉर्पोरेट स्तर की कोई भूमिका नहीं होती। हिंडालको प्रबंधन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, मुरी प्रबंधन एक राजनीतिक दल के प्रभाव में काम कर रहा है। आरोप है कि उसी दल के प्रमुख की सहमति के बिना कोई नियुक्ति नहीं होती। विशेष रूप से, यह दावा किया जा रहा है कि राजू महतो को नौकरी न देने के पीछे राजनीतिक कारण हैं।
वहीं हिंडालको इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जो अदित्य बिड़ला ग्रुप की प्रमुख कंपनी है, ने इस विवाद पर अब तक चुप्पी साध रखी है। कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट और हालिया वार्षिक रिपोर्ट (2023-24) में श्रमिक कल्याण नीतियों का उल्लेख है, लेकिन विशिष्ट मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं की गई। राजू के परिवार और बाकी सबों को इंतजार है कि आगे इस मामले में क्या क्या होता है।