झारखंड मे जेएमएम ने घाटशिला और बिहार में एनडीए ने बिहार विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल की। लेकिन जब भी कोई जीतता है और सामने वाली पार्टी हारती है तो उस हार की समीक्षा करने की बात होती है। वो अंदरूनी कलह और कमजोरी तलाशी जाती है जिसपर हार का दारोमदार फोड़ा जा सके।
बिहार में महागठबंधन की करारी हार के बाद यह सवाल खड़ा हुआ की आखिर कहां और कैसे कमी रह गई। खासकर लालू परिवार पर तो कई सवाल उठे। जहां झारखंड में हेमंत सोरेन और जेएमएम ने कहा था कि बिहार चुनाव से अलग होने पर हम समीक्षा करेंगे, वहीं बिहार में हार के बाद लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने राजनीति से ,पार्टी से और परिवार से किनारा करने की बात कही है। जिसके बाद यह कहा जा रहा है कि लालू परिवार की आपसी कलह और परिवार में टूट हार की एक प्रमुख वजह है। बता दें कि
लालू प्रसाद यादव के परिवार में अनबन के पीछे कई कारण हैं, जिनमें मुख्य रूप से राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में आंतरिक शक्ति संघर्ष शामिल हैं।
लालू के दोनों बेटों, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच पार्टी के नेतृत्व और नियंत्रण को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही है। मई 2025 में, लालू प्रसाद ने कथित "गैर-जिम्मेदार व्यवहार" और "पारिवारिक मूल्यों" के विरुद्ध आचरण के लिए अपने बड़े बेटे तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। तेज प्रताप ने बाद में अपनी खुद की पार्टी, जनशक्ति जनता दल (JJD) बनाई।
तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव का पार्टी और परिवार के मामलों में बढ़ता प्रभाव भी विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है। तेज प्रताप और लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने संजय यादव के प्रभाव के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है।
तेज प्रताप के तलाक का मामला और सोशल मीडिया पर उनकी व्यक्तिगत पोस्ट से जुड़े विवादों ने भी परिवार की सार्वजनिक छवि को प्रभावित किया और आंतरिक कलह को बढ़ाया।
ये घटनाक्रम दिखाते हैं कि परिवार, जो कभी एकजुटता के लिए जाना जाता था, अब राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और आंतरिक मतभेदों के कारण बिखर गया है, जिसका असर पार्टी के चुनावी प्रदर्शन पर भी पड़ा है।
तो कही न कही लालू परिवार अब अंदर से टूट चुका है लेकिन अब झारखंड में महागठबंध की एकजुटता है टूट यह तो यहां के समीक्षात्मक बैठक के बाद ही पता चलेगा।