क्या वाकई झारखंड के शिक्षामंत्री पर संकट का साया है, पहले जगन्नाथ महतो और अब रामदास सोरेन। एक के बाद एक दोनों ही इस दुनिया को अलविदा कह गये। जब हमारे टाइगर जगन्नाथ महतो कोरोना की वजह से इस दुनिया से गये तब ही ऐसा लगा था कि अब कोई दुसरा टाइगर कैसे उनकी जगह ले पायेगा।क्योंकि जगन्नाथ महतो को जब शिक्षामंत्री बनाया गया था तब उन्होंने खुद कहा था कि मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है, जिसके नर्वहण के लिए मेरे पास पहले स्वंय की डिग्री होना आवश्यक है और 10वीं पास जगन्नाथ महतो ने खुद 11 वीं में एडमीशन लेकर विरोधियों को जवाब दिया था। हेमंत सोरेन की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद सबसे बड़ा सवाल था कि शिक्षामंत्री का पद किसे मिलेगा। जब रामदास सोरेन इस पद पर काबिज हुए तब झारखंडवासियों के मन में एक आस जगी कि झारखंड में शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग हो सकता है। लेकिन यूं अचानक से रामदास सोरेन का चला जाना कहीं न कहीं ये सवाल खड़े कर रहा है कि क्या वाकई झारखंड के शिक्षा मंत्रियों पर संकट के बादल छाये हैं........आखिर एक के बाद एक यूं अचानक से शिक्षामंत्री का चले जाना झारखंडवासियों को सदमा दे गया है और सवाल भी......